दोस्तो आप को मैं my village essay in hindi के विषय में आप को लिख के बताऊंगा। Mera gaon essay in hindi के बारे सभी को लिखने मिलता है। हमारे स्कूल में कक्षा 5,6,7,8,9,10 के छात्रों को अत्याधिक दिया जाता है। मेरा गांव पर निबंध लिखना अत्यंत आसान है। My village essay in hindi in 100,300 and 500 words में आप को लिख के दूंगा। आप को जीतने भी शब्दो में लिखने की अवश्यकता हो आप लिख ले।
तो चलिए लिखना शुरू करते है my village essay
Table of Contents
मेरा गांव पर निबंध हिंदी में | my village essay in hindi in 100,300 , 500 and 800 words
100 शब्दो में मेरा गांव पर निबंध | mera gaon essay in hindi in 100 words
मेरे गांव में बहुत शांति का माहौल रहता है। शहर के शोर गुल से दूर बहुत शांति भरा होता है गाँव। यहां पर शहर के कारखानों से निकलने वाली गंदी हवाएं नही होती। यहां की हवाएं बहुत ताजा और शुद्ध होती है। शहरी क्षेत्रों में कारखानों से निकलने वाले गंदे धुएं, गंदे जल, नालों इत्यादि से शहर में बहुत अधिक मात्रा में बीमारियां फैल रही है।
मेरा गांव इन बीमारियो से दूर है क्युकी यह चारो तरफ पेड़ पौधे और हरियाली होती है जिसकी वजह से गांव के वाशियो को शुद्ध ऑक्सीजन मिलता है।
शहरी क्षेत्रों में धूप का भी बहुत अभाव होता है वह धूप न मिलने की वजह से भी लोगो को कई प्रकार की बीमारी होती है। लेकिन गांव में धूप पर्याप्त मात्रा में मिल जाती है जिसकी वजह से गांव के लोगो को बीमारियां कम होती है।
300 शब्दो में मेरा गांव पर निबंध | mera gaon essay in hindi in 300 words
मेरा गांव के चारो तरफ अत्याधिक हरियाली है जिसकी वजह से मेरे गांव के लोग शहरों के लोगो के अधिक स्वस्थ रहते है। गांव में रोजगार के अधिक साधन ना होने की वजह से लोग अपना गांव छोड़ के शहर में पैसा कमाने गए है जिससे वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।
शहर में भले ही अत्यंत रोजगार हो लेकिन गांव के लोगो का एक भी काम होता है वो है खेत खलिहान में काम करना। गांव के किसान भले ही अक्षित हो लेकिन वो अपने गांव और देश के प्रति बहुत ईमानदार होते है।

शहरो में बहुत कारखानों की वजह से वहां पर कई तरह की बीमारियां होती है लेकिन मेरा गांव इन बीमारियो से बहुत दूर है क्युकी मेरे गांव में चारो तरफ हरियाली है बहुत सारे पेड़ है जिसकी वजह से हमें एकदम शुद्ध हवा मिलता है सांस लेने के लिए।
मेरे गांव के लोग शहरी क्षेत्रों में रहने वालो से अत्याधिक स्वस्थ रहते है। गांव के लोग जो भी खाते है ताजा खाते है। लेकिन शहर के लोग कही दिन से रखी हुई सब्जियां खरीद के खाते है।
गांव का महत्व पूरे देश के लिए है क्युकी गांव के लोग खेतो में मजदूरी करते है तब जा के शहर के लोगो का पेट भरता है।
शहर में अत्यधिक रोजगार होता है लेकिन गांव में सिर्फ खेती के अलावा और कोई भी रोजगार नहीं होता गांव के लोग इतने शिक्षित भी नहीं होते कि वह शहर में जाकर कोई रोजगार कर सके।गांव के लोग भले ही अच्छे थे लेकिन वह दूसरों के प्रति बेईमान नहीं होते दूसरों के प्रति बुरा भाव नहीं रखते हो वह सब अपने भाई जैसा ही समझते हैं।मेरे गांव में हमें मोर पक्षी देखने को मिलता है जो हमारे राष्ट्र का राष्ट्र पक्षी कहा जाता है।
आपके भी गांव में कोई ना कोई ऐसे पक्षी या जानवर होंगे जो और किसी के गांव में नहीं होंगे। गांव में जब गर्मी के छुट्टी करती थी। तो हम अपने नानी के घर पर जाते थे जहां हमें बहुत ज्यादा प्यार मिल रहा था और हमारे सबसे पसंदीदा जगह गांव में हमारी नानी का घर हुआ करता था।
500 शब्दों में मेरा गांव पर निबंध | mera gaon essay in hindi in 500 words
मेरा गांव बहुत प्यारा है सभी का गांव खुद को प्यारा ही लगता है गांव में चारों तरफ शांति का माहौल रहता है लोग बहुत ही प्यार से एक दूसरे की मदद किया करते हैं। लोगों के मन में छल कपट नहीं होता है किसी के भी प्रति सब अपना काम किया करते हैं और लोगों की मदद करते हैं।
शहर के इलाकों में रहने वालों को गाड़ी वाहनों के शोरगुल बहुत सुनने मिलते हैं इससे अलग गांव में बहुत ही शांति रहती है। शहरी क्षेत्रों में कारखानों से निकलने वाले जहरीले वैसे गंदे पानी इत्यादि से बहुत सारी बीमारियां फैलती है जो शहर में रहने वाले लोगों को अधिक बीमार करती हैं।
गांव में रहने वाले लोगों को शुद्ध हवा शुद्ध जल मिलता है क्योंकि गांव में चारों तरफ हरियाली पेड़ पौधे लगे हुए रहते हैं जिसकी वजह से हमें अच्छी ऑक्सीजन मिलती है जो हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक होती है। शहर के लोग अत्यधिक बीमार पड़ते हैं क्योंकि वहां पर सूर्य की किरणें उन को अच्छी तरह से नहीं मिल पाते लेकिन गांव में सूर्य की किरणें अच्छी तरह से लोगों को मिलती है जिसके वजह से कई सारी बीमारियां दूर होती हैं।

गांव में खेती करके मजदूर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं और उनके खेती करने की वजह से हमारे देश के बाकी और भी परिवारों के वासियों को भोजन प्राप्त होता है।
गांव के क्षेत्रों में चारों तरफ जंगल रहता है पेड़ पौधे रहते हैं जिससे शुद्ध हवा और अधिक पेड़ होने की वजह से गांव में वर्षा भी पर्याप्त मात्रा में होती है जिससे किसानों की खेती और पीने का जल प्राप्त होता है।
गांव में शांति का माहौल रहता है जो शहर के माहौल से बहुत ही अलग होता है गांव में जाने से हमारे मन को शांति मिलती है हमें बहुत ही सुख की प्राप्ति होती है। गांव के किसान गेहूं चावल चने गन्ने इतिहास की खेती करते हैं आपके भी गांव में इसी तरह की खेती की जाती होगी मेरा गांव बहुत ही शांतिप्रिय गांव है यहां पर लोग खुद से ज्यादा दूसरों की फिक्र करते हैं।
लोग कितना भी शहर में रह ले लेकिन जब गर्मी की छुट्टी होती है तो लोग अपने अपने गांव में ही जाते हैं। गांव में बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से गर्मियों में भी हमें हवा और छांव मिलती है जिससे हमें गर्मी का एहसास नहीं होता है और दिन अच्छे तरीके से निकल जाती है रात में भी इन्हीं पेड़ों से ठंडी ठंडी शीतल हवाएं चलती है।
800 शब्दों में मेरा गांव पर निबंध | mera gaon essay in hindi in 800 words
गांव के लोग धार्मिक होते हैं और युवाओं से लेकर बड़ों तक सभी लोग धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं। चूंकि गांव धार्मिक है, इसलिए गांव में कुछ धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। गांव में साल में एक बार अखंड हरिनाम सप्ताह का आयोजन होता है। गांव के मंदिर को इस तरह डिजाइन किया गया है मानो भगवान जानू गांव के चारों ओर से गांव की रक्षा कर रहे हों।
गांव में गणपति मंदिर, मारुति मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, रावलनाथ मंदिर जैसे कई खूबसूरत मंदिर हैं। गांव के ऊपर लक्ष्मीमाता गांव की रक्षा कर रही हैं। साहब, उधर मारुति गांव पर नजर रखे हुए है। गांव के बीच में बैठकर गांव की कमान संभालने वाले गणपति बप्पा हर साल गणपति का जन्मदिन गणपति के मंदिर में मनाते हैं.
उस समय गांव के लोग एकत्र होकर चंदा जमा करते हैं और गांव का बड़ा भोजन करते हैं। हनुमान जयंती पर मारुति मंदिर में भजन कीर्तन का कार्यक्रम होता है। सार्वजनिक गणेशोत्सव हर साल मनाया जाता है। आंदोलन किए जाते हैं और इन आंदोलनों को देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग हमारे गांव आते हैं।
गणेश उत्सव को लेकर गांव में तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गांव में नौ साल में एक बार लक्ष्मी देवी उत्सव मनाया जाता है। महालक्ष्मी पर्व नौ दिनों तक चलता है। ये नौ दिन कब बीत जाते हैं, समझ ही नहीं आता। गाँव में लोगों का रहन-सहन बहुत ही साधारण है। गांव में सभी त्योहार गांव के लोग मिलकर खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं, चाहे वह होली हो, दशहरा हो, गुढ़ीपड़वा हो, शिग्मा हो, गणपति उत्सव हो या दिवाली हो।
गांव में बच्चों की पढ़ाई के लिए दो स्कूल हैं। गांव में कक्षा 1 से कक्षा 10 तक की पढ़ाई के लिए स्कूल है। पहली से चौथी कक्षा के लिए कुमार विद्या मंदिर तुर्कवाड़ी और 5वीं से 10वीं कक्षा के लिए जनता विद्यालय तुर्कवाड़ी जैसे स्कूल हैं। प्राथमिक शिक्षा के लिए लड़के-लड़कियों को गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता, बल्कि आस-पास के गांव जैसे ताड़सिंहहाल, मड़वाले, यशवंतनगर, कर्वे, वैतागवाड़ी से लड़कियां पढ़ने आती हैं।

बच्चों के लिए आंगनबाड़ी भी है। ग्रामीणों का शिक्षा पर अधिक ध्यान है और गांव के कुछ लोग डॉक्टर, इंजीनियर, तलाठी, ग्राम सेवक के रूप में काम कर रहे हैं। गांव के युवा भी पढ़े-लिखे हैं। उनमें से कुछ नौकरी की तलाश में हैं और कुछ व्यवसाय में हैं।
गांव में किराना दुकान, कपड़े, सोना, जनरल स्टोर, मेडिकल, बिजली, मोबाइल की दुकान जैसी कई दुकानें हैं। गांव के लोगों को सामग्री लाने के लिए गांव जाना पड़ता है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र गांव में एक बैंक है। गांव के लोगों का आर्थिक लेन-देन गांव में ही होता है, इसलिए उन्हें गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता है।
गांव में ग्राम पंचायत है। तुर्कवाड़ी में पांच गांवों की एक ग्राम पंचायत है। ग्राम पंचायत में मड़वाले, ताड़सिंहहाल, जगमहट्टी के लोग काम के लिए आएंगे। अस्पताल हैं। गांव में सप्ताह में एक बार यानी प्रत्येक बुधवार को बाजार लगता है। बाजार में एक सब्जी बाजार, एक मछली बाजार और एक पशु बाजार शामिल है। गाँव में सब कुछ उपलब्ध कराया जाता है ताकि लोगों को किसी भी चीज़ के लिए गाँव से बाहर न जाना पड़े।
गाँव बहुत शांत है और गुण गोविंदा के साथ गुनगुनाता है। गांव में आधे से ज्यादा लोग किसान हैं इसलिए प्रकृति से बेइंतहा प्यार करने वाले लोग इस गांव में रहते हैं। कला को समर्पित, सांस्कृतिक विरासत को संजोने वाला और हर त्योहार को बड़े हर्षोल्लास से मनाने वाला गांव।
इस गांव ने अपने कई बच्चों को हर तरह से अच्छी शिक्षा दी। गाँव का कार्यक्रम उस समय सुबह से शाम तक निश्चित किया गया होगा। ये सीन बिल्कुल फिल्म देखने जैसा है। हर सुबह पिंगला, नंदी बैलवाला हल्वी, और कभी-कभी वासुदेववाला के पास हमेशा एक ट्रेन होती थी।
उसके बाद, परिवार आकर डोमबारा का खेल खेलते थे। अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने के लिए हर घर से भीख मांगना उनकी दिनचर्या थी। कभी-कभी वे गाँव में खेल खेलते थे हम हमेशा गारेगर वालों का इंतजार करते थे जो दोपहर की धूप में आकर खेलेंगे। उस समय गांव में गरेगारों से गरारे खाने का मजा ही कुछ और होता था।
गांव गांव होता है। गांव में कहा भी जाए तो बचपन में भी पलक झपकते ही सब कुछ चला जाता है और मन में सिर्फ यादें रह जाती हैं। बचपन और गांव दोनों ही सबके मन में आत्मीय हैं। हमारे और गांव के बीच की गर्भनाल इतनी जुड़ी हुई है कि हमें हमेशा के लिए छोटा होने पर मजबूर कर देती है।
गांव में भारी बारिश होती है। इसलिए कौलारू के घरों की छतें नीचे आ रही हैं। चूँकि गाँव में बहुत अधिक वर्षा होती है, वर्षा के चार महीने बाद भी गाँव के कुओं में भरपूर पानी रहता है। इसलिए गांव में कभी पानी की कमी नहीं हुई। गांव में सबके घर के सामने आंगन और आंगन में तुलसी वृन्दावन है।
निष्कर्ष
इस ब्लॉग से यह निष्कर्ष निकलता है कि मेरा गांव बहुत ही शांति से रहता है वहां पर सभी लोग बहुत ही हिष्ट पुष्ट रहते हैं गांव में बीमारियां कम होती हैं।
दोस्तों अभी आप अपने पड़ा my village essay in Hindi मेरा गांव पर निबंध आपको कैसे लगाया बात आप बता दीजिए। अगर आप इसी तरह और भी किसी विषय पर निबंध चाहते हैं तो और भी कमेंट कर दीजिए हम अवश्य ही आपको उस विषय पर निबंध लिखकर बताएंगे। My village essay in Hindi के बारे में अवश्य एक कमेंट करें।
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